अधरों से तुम हास चुराए जाते हो।
क्यों सबका मधुमास चुराए जाते हो ?
पल भर जो भी श्वास हमें तुम देते हो
सदियाँ भर उच्छ्वास चुराए जाते हो ।
जिसके पद के नीचे अब भूगोल नहीं
उसका क्यों इतिहास चुराए जाते हो ?
अच्छे दिन का तुमने जो आभास दिया
अब वह भी आभास चुराए जाते हो।
फूलों को लेकर ही हम थे आनंदित
फूलों से भी बास चुराए जाते हो।
पहले तो थोड़ी कँपती थी उँगली भी
अब तो तुम बिंदास चुराए जाते हो।
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