पैर / कविता उन्हें अंदाजा था कि शांति काल के दिन लेकर आएंगे सभी पैरों के लिए अवसर की समानता के अधिकार शांतिकाल की रातें आरक्षित रहेंगी सपनों के लिए सपने देखते - देखते बीत जाएँगी शांति काल की रातें अवसर और सपनों के बीच कुछ पैर पद्म हो जाएँगे कुछ हो जाएँगे पद्मश्री भी कुछ बनकर रह जाएँगे छाले कुछ बांध लेंगे घुंघरू कुछ बैठ जाएँगे धरने पर या रैली में कुछ खड़े ही रहेंगे कतार में कुछ मैराथन में कुछ टूट जाएँगे कुछ रूठ भी जाएँगे पैर होने की कीमत चुकाएंगे शांतिकाल में कुछ संसद में कुछ संसद के मार्ग में कुछ मार्ग के बाएं, कुछ दाएँ आगे बढ़ते हुए पैर चोटी चढ़ते हुए पैर पीछे हटते हुए पैर गलती से एक - दूसरे से सटते हुए पैर
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