Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2021

धर्म बदलें

धर्म बदलें, मजहब बदलें, आस्था - अक़ीदा बदलें, इस छोटी सी जिंदगी में इसे कई बार बदलें, कोई बात नहीं। लेकिन धर्म, मजहब, आस्था, अकीदत में बदलाव का दायरा जब आपकी भाषा, पहनावे, तौर - तरीके या जीवन शैली यानी आपकी सांस्कृतिक बुनावट  के  बदलाव तक फैलने लग जाए, आपकी एक विशेष सीमा तय करने लगे, आपके 'स्व' को, आपकी व्यक्तिगत अस्मिता को उस जमीन की संस्कृति में बदलने लगे जिसमें आपके अपनाए धर्म,मजहब के अवतार, पैगंबर, या ईश- पुत्र  पैदा हुए तो समझ लीजिए आपकी मानसिक गुलामी का आरंभ हो गया।  इस लिहाज से अगर भारतीय इतिहास को देखें तो मोटे तौर पर दो तरह की गुलामी आई दिखाई पडती है जिसने भारतीय समाज को बदला और इतना गहरा बदला कि वह थोड़ा- थोड़ा  खंडित होता रहा और अंततः यह खंडन पूरा  भी हुआ।  पूर्व मध्यकाल तक जो भी गुलामी थी मानसिक या सामाजिक वह आंतरिक थी। भले ही वह बुरी थी लेकिन यह बुराई भारतीय थी क्योंकि इसी जमीन की थी। वर्ण - जाति की श्रेष्ठता या हीनता अथवा उसके नाम पर शोषण मानसिक- सामाजिक गुलामी का एक हिस्सा था। लेकिन यह हिस्सा नितांत भारतीय था। रोग था लेकिन अपने शरीर का था। दर्द था लेकिन अपने दिल

गाँधी और आत्मालोचन

कई बिन्दुओं पर असहमति के बावजूद गाँधी मुझे आकर्षित करते हैं । यह आकर्षण सिर्फ वैचारिक नहीं है बल्कि यह आत्मा के धरातल पर का आकर्षण है। गाँधी के विचार और व्यक्तित्व ने सिर्फ उनके समकाल और स्वदेश को ही अनुप्राणित नहीं किया है बल्कि आनेवाले समय में उन सभी संघर्षों को एक दिशा दी है जो मनुष्य और उसके समाज या देश की बेहतरी के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों में  किए गए हैं । संघर्ष के सभी प्रचलित तरीकों के समक्ष वे एक समानांतर रचते हैं। सत्याग्रह जन - संघर्ष का एक अपेक्षाकृत अधिक मानवीय तरीका है जिसमें विरोधी शत्रु नहीं है और अगर शत्रु भी है तो वह भी अंततः मनुष्य है, वही मनुष्य जिसमें एक हृदय है, एक मस्तिष्क है और रचनात्मक चेतना भी है। विरोधी के भीतर परिवर्तन आने तक का जो संघर्ष है वही गाँधी का संघर्ष है। इसमें रक्तपाती क्रांति या सशस्त्र मोर्चे की कोई जगह नहीं। मैं यह नहीं कह रहा कि देश की आजादी सिर्फ इस  सत्याग्रह के बल पर मिली बल्कि इशारा इस बात की तरफ है कि इस सत्याग्रह ने ही काँग्रेस को एक जन - आंदोलन बनाया। इस सत्याग्रह ने गांधी के बाद भी कई जन - समूहों को संघर्ष का एक मानवीय  तरीका दिया