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Showing posts from December, 2021

दर्श की ग़ज़लें/ अनिरुद्ध सिन्हा

भूमिका / अब तो दे दो मुझे अंधेरा यह                                                दिलीप दर्श की ग़ज़लों में कथ्य की दृष्टि से जहाँ जीवन का सौंदर्य हैं वहीं जीवन की कई समकालीन विसंगतियाँ भी हैं। उन विसंगतियों से ग़ज़लें जूझती हैं और बेहतर विकल्प की ख़ोज करती हैं। इस खोज में ग़ज़लकार को कितनी सफलता मिलती है यह तो एक पाठक ही तय कर सकता है परन्तु जहाँ तक मेरा मानना है दर्श सौंदर्य और विसंगतियों के बीच एक सेतु तो अवश्य निर्मित करते हैं। उस सेतु से होकर कोई भी पाठक प्रेम को इंगित करते हुए विसंगतियों के समक्ष प्रेम की एक नयी नींव तो डाल ही सकता है। यही नींव पाठक को भविष्य में प्रेम के शिखर-बिन्दु तक ले जाती है। जीवन के तथ्य और जीवन की विसंगतियों के बीच खड़ी इस संग्रह की ग़ज़लें ग़ज़लकार के मन के भेद और विचारों के रहस्य खोलने के लिए काफी हैं। भाषा और शिल्प की बुनावट सहज और सरल है। कहीं भी अबूझ भाषा का चमत्कार और असंगत कथ्य की कोई पहेली नज़र नहीं आती। यूँ कहें, ये ग़ज़लें साफ मन की सहज अभिव्यक्ति है जो सीधे-सीधे पाठकों से संवाद करती हैं। भाव,बुद्धि,कल्पना का समावेश लेखकीय समझ के साथ किया गया है। उल्लास औ

धर्मांधता /

धर्मांधता आज के समाज की सबसे बड़ी समस्या है। विज्ञान और उसके नित नए  वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के इस युग में  बेशक जीवन आसान हुआ है लेकिन एक कठिनाई भी पैदा हुई है। वैज्ञानिक अनुप्रयोगों ने मनुष्य को जो तेज संवाद- माध्यम दिए हैं उनसे धर्मांधता के प्रसार को सिर्फ रफ्तार ही नहीं बल्कि एक व्यापक डोमैन  भी मिला है। धर्म या मजहब के नाम पर सारी प्रचलित बेवकूफियाँ और नासमझियाँ अब एक क्लिक में सभी तक पहुँचाई जा सकती हैं । विचार और वस्तु को प्रचार या विज्ञापन के रूप में इतने आयामों के साथ पहले कभी नहीं रखा गया होगा। अभी लोकमत को यथाशीघ्र बनाना या बिगाड़ना बहुत आसान है। कोई प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। कमीनों - नीचों की भी लाबी अपने ढाल - तलवारों के साथ इतनी बड़ी और मजबूत है कि बौद्धिक रूप से ईमानदार लोग भले ही डरे हुए नहीं हों लेकिन  अल्पसंख्यक और हाशिए पर जरूर हैं । धर्मांध  किसी भी वर्ग का हो वे एक ही हैं। बस खूँटियाँ अलग - अलग हैं । महजबी साम्राज्यवाद की होड़ दुनिया को कहाँ ले जाएगी इसका उत्तर सिर्फ धर्मांध के पास ही होगा। हमारा ग्रंथ श्रेष्ठ हमारे भगवान गाड या अल्लाह श्रेष्ठ हमारी पूजा पद्धति