घाव और मक्खियां


नागरिक नहीं , वासी नहीं 
हम सब हैं सदियों पुराने घाव
सूखते आए हैं पछिया हवा में
और पुरबैया में बजबजाते आए हैं 
और यह देेश, देश नहीं 
समाज भी समाज नहीं   
घावों का विराट् समुच्चय है बस
घावों के भीतर कई घाव हैं 
माथे के घाव हैं 
उनकी सोच में अहंकारी मवाद है
बाँहों के घावों में ताकत की खोखली फ़ौलाद है 
पेट के घाव में 
भूख – प्यास  की वही शाश्वत और अंंतहीन कुलबुली 
सबसे ज्यादा जलन है पैरों के घाव में 
जिन पर ऊपर के सारे घावों का शास्त्रीय दवाब है
कुछ घाव जमानों पुराने 
कुछ बीच के काल के तो कुछ हाल के
कुछ तो अभी के, बिल्कुल ताज़ा
कुछ सवर्ण, कुछ अवर्ण,..... कुछ विवर्ण 
कुछ आरक्षण फलित , कुछ आरक्षण -  स्खलित 
कुछ दलित घाव मूँछ पर रखे ताव
कुछ महादलित घाव 
फूँकते सामाजिक न्याय के अलाव
कुछ शहरी या मध्यवर्गीय घाव  
खिल उठते देखते ही चाय और वड़ा पाव 
कुछ घाव बहुजन कुछ घाव सहजन 
हरेक घाव का कोई न कोई महाजन 
कभी घाव हिन्दी, कभी हैं अहिन्दी 
कहीं घाव मराठी कहीं हैं आसामी
कुछ पूँजीवादी, कुछ घाव पूँजी विरोधी
कुछ घाव रोज बोले - "आजादी आजादी " 
फैलते हुए घाव बहुसंख्यक 
सिकुड़ते हुए घाव अल्पसंख्यक 
बहुसंख्यक के स्वयंभू अगवा कुछ घाव भगवा
कुछ सफेद, खुजाते हुए जताते खेद
कुछ घाव हरे, अक्सर अस्तित्व - संकट से डरे 
कुछ घाव लाल - लाल ताजा 
बने बैठे हैं शोषित घावों के वैचारिक राजा
लेकर आते हैं 
घावविहीन नागरिक या समाज के नारे
और खुद ही घाव बन जाते हैं बेचारे 
रह - रहकर टीस उठती है 
चुभती रहती है सुई- सी कुछ 
हम घाव दुखते रहते हैं, कभी भरते नहीं 
हमें भरने कहाँ देती हैं कभी मक्खियां ?
वे तो भिनभिनाती आती हैं 
हमें खोद - खोदकर ताज़ा कर जाती हैं 
हमारे मवाद पीकर उड़ती हैं हवा में, 
और पहुँचती हैं संसद 
वहाँ उगलती हैं वही मवाद 
जीभ काढ़े मीडिया लपक लेता है झट
और बूँद- बूँद उछाल देता है हवा में
हम घाव फिर बूँद- बूँद गटक लेते हैं 
अपने - अपने मवाद 
हम भरते - भरते फिर बजबजाने लगते हैं 
हम फिर मक्खियों को 
मवाद से भरे - भरे खजाने लगते हैं 
कुछ नये गठबंधन लिए 
मक्खियाँ फिर उतरती हैं 
इस बार मवाद नहीं पीतीं, चमड़ी कुतरती हैं 
कुछ नए घाव बनाती हैं 
संसद में बैठ उपलब्धियाँ गिनाती हैं 
गढ़ती हैं राष्ट्र, बहुमत के दावों से
भरती हैं देश को नए - नए घावों से। 
        □□□

No comments:

Post a Comment

नवीनतम प्रस्तुति

अवधू खेलहु हैप्पी होली