कोई बुराई नहीं है

अब यह स्वीकार कर लेने में कोई बुराई नहीं है
कि हममें से किसी में फिलहाल
कोई अच्छाई नहीं है
क्योंकि अच्छाई अभी तक नहीं बन पाई है
जीने या मरने की
कोई अनिवार्य शर्त या असाध्य मजबूूरी
अभी भी असुरक्षित है जंगल से हमारी दूरी

कोई बुराई नहीं है यह कहने में भी
कि अभी तक नहीं बना पाए हम
धरती को एक घर या आंगन
नहीं बना पाए हम आसमान को
एक छत या सामयाना
नहीं रख सके एक, सूरज या चांद को
अंधेरे में जलाए हमने अपने - अपने सूरज
और देखे अपने - अपने चांद
अपनी - अपनी खिड़कियों से हमेशा

यह कहने में भी कुछ बुराई नहीं कि
विरोध में उठी मुट्ठी या प्रतिरोध में तनी कुहनी में अभी भी जो ताकत है
उसमें प्रेम नहीं, घृणा है, अमृत नहीं, विष है
इसलिए विरोध हो या प्रतिरोध
सब टांय - टांय फिस्स है

यह मान लेने में भी क्या बुराई है कि
अबतक भाषा नहीं बना सके हम
खुद को नहीं रच सके
तभी तो बनाते रहे बम,
रचते रहे चक्रव्यूह
एक - दूसरे के विरुद्ध खड़े हुए जन - समूह

यह भी सही है कि
कविता हमारे लिए है अभी भी है जैसे कोई पर्यटक वीजा
आत्मा के राज्य में घूम- फिर कर
मौज - मस्ती कर लौटते आए हैं
और वहां की स्थायी नागरिकता के लायक
अभी भी नहीं हुए हैं हम
ऐसा समझने में कोई बुराई नहीं है !

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