ग़ज़ल /आसमानी तख्त से नीचे उतरकर देखिए।खूबसूरत है जमीं भी, चल- ठहरकर देखिए।तब दिमागी शोर का एहसास भी हो जाएगा।दिल के सन्नाटे से तो पहले गुज़रकर देखिए।और भी है बहुत कुछ रफ्तार के बाहर यहाँ,इक दफा रफ्तार से पूरा उबरकर देखिए।आप भी महसूस कर लेंगे जमाने का दबाववक्त के सीने पे थोड़ा – सा उभरकर देखिए।रोज औरों को सुधरने की नसीहत दे रहेकारगर होगी नसीहत, खुद सुधरकर देखिए।देखते हैं आप उनके हाथ ही पत्थर वो क्योंआपके हाथों में भी तो है वो पत्थर देखिए।
‘फणीश्वरनाथ रेणु: कथा का नया स्वर’ भारत यायावर की एक व्याख्यापरक आलोचना - कृति है । अनन्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, कुल दो खंडों में विभाजित और लगभग 240 पृष्ठों में रचित इस पुस्तक में रेणु के कथा – रिपोर्ताज को, भाषा, शिल्प, शैली और कथ्य की दृष्टि से रेशेवार खोलने का महत्प्रयास हुआ है। पहले खंड में रेणु के कथा – साहित्य पर 11 आलेख हैं और दूसरे खंड में उनके लिखे उन्नीस रिपोर्ताज पर 12 आलेख हैं । आलोचना की प्रचलित पद्धतियों, खासकर समाजशास्त्रीय और रूपवादी पद्धतियों से इतर यायावर ने रेणु – साहित्य की भीतरी तह तक पहुँचने के लिए एक अपनी ही दृष्टि विकसित की है जिसके मूल में लोकजीवन का राग – बोध है और जिसके बिना रेणु की रचनाओं में भटका तो खूब जा सकता है मगर पहुँचा कहीं नहीं जा सकता। यायावर इस कृति में ऐसे मुकाम पर पहुँचते हैं जहाँ खड़े होकर आम पाठक या सांस्कृतिक रूप से विजातीय पाठक भी रेणु की सर्जनात्मक धड़कनों को प्रत्यक्ष महसूस कर सकते हैं । कई बार आलोचनात्मक या समीक्षात्मक कृति की समीक्षा करना शोरबे का शोरबा बनाने जैसा लगता है लेकिन यायावर की इस पुस्तक को पढ़ते हुए कई बार यह भी लगता
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