वह लिखेगा रिपोर्ताज

अपनी बची - खुची आंखें 
और आंखों का बचा-खुचा पानी
छोड़ गया वह 
समय की शिला पर

पाषाणी कान में फुसफुसाकर 
कितना कुछ बता गया – 

शिला पर ठहरी एक - एक बूँद पर 
चमक रहा है उसके समय का मिज़ाज 
अभी भी टकरा रही है
शिलाखंड से उसकी आवाज़
 
वहाँ रखी उसकी आंखें
अभी भी ढूंढ रही हैं कोई बात या घटना

वह जरूर लौटेगा 
फिर लिखेगा रिपोर्ताज !


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