मिसिरजी, मांगन नाम / पद / 8
मिसिरजी, मांगन नाम धरावै।
सबद - साधना छांडि मिसिरजी, पूजा -पाठ करावै।
लेखन - संपादन का व्रत ले चुपके -से खुद खावै,
मधुमेही लेखक कविगण से नित उपवास करावै।
झोला लेकर वन - वन भटकै, कंद- मूल चुनि लावै।
मुट्ठी - भर परसाद की नाईं बांटि- बांटिके खावै ।
भग्न खंडहर, गिरि - गह्वर में फोटू बहुत हिंचावै ।
फोटू को फिर फेसबुकन पर विहंसि विहंसि चिपकावै।
बोल न पावै व्यथा - कथा निज नैन सिर्फ मटकावै,
'दूरदास' यह अजब संवदिया पान मूंह चभलावै।
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