पिन या सुई / कविता

अलार्म सिर्फ नींद तोड़ सकता है
अलार्म से इसलिए सिर्फ नींद ही टूटती है
आदमी नहीं जागता

आदमी जाग सकता है, जागता है
एक छोटी पिन या सुई से
जब चुभन उसकी रगों में सरपट दौड़ जाती है

इसलिए चुनता रहता हूँ
हमेशा पिन या सुई
जिंदगी का स्वाद चखने के लिए

जिन्हें चुननी है रुई
वे चुन लें
इत्र मल - मलकर कान में रखने के लिए

 

                 

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