ये अराराट पहाड़
ये अराराट पहाड़ ही बताएंगे
कितने ऊंचे हैं उनके सपने
चट्टानों से महसूस होगा
उनका साहस या संकल्प
इन पर उगी वो अनजान दूब – घास उमग- उमग कहेगी
कितना हरा है अभी भी उनका आत्मविश्वास
चलकर कहेगी हवा – बतास
उनमें कितना है जीवन या सांसें हैं शेष
आकाश नहीं
यह झील सेवान बोल उठेगा
कैसे हैं यहाँ के लोग
और कैसा है यह देश
और यह फैली - पसरी बर्फ मीलों तक
बताएगी अवश्य
उनके लिए क्या है जरूरी
उजला या सफेद होना हृदय का
या ठंडा होना आत्मा का !
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