धरहु नाक पर उँगली, देखहु चालत साँस अमंदा।
जीते - जी मृत घोषित करि रहि तोरे यम कारिंदा।
एहि विधि धरती स्वर्ग भयो है, भासत नहिं भव - फंदा।
जुग - जुगान से इस माटी के हम खांटी बाशिंदा,
अस कस मांगत हैं हमसे भी कागज केर पुलिंदा ?
लैंप - पोस्ट, फुटपाथ, सड़क, पुल हमरी खूब घरौंदा,
हाउस नंबर शून्य कियो अरु वोटर कियो परिंदा।
लोकतंत्र की खातिर पद पर जे कछु लोग चुनिंदा,
दूरदास अब कांपै उनसे थर थर देखि दरिन्दा।
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