आसमां गिरता है तो छत पर नहीं गिरता,
पर किसी के सर पे भी अक्सर नहीं गिरता।
नींव कोई हो न हो, गर हों जड़ें घर की,
गिर भी जाता है मकां तो घर नहीं गिरता।
ठीक से देखो, कोई खंभा गिरा होगा
भीत के गिरने से तो छप्पर नहीं गिरता।
अब कोई भी पीर पर्वत ही नहीं होती,
आँख में पानी का वरना स्तर नहीं गिरता।
रोज सिज्दे करके हमने तो यही देखा
सर झुका देने से अक्सर सर नहीं गिरता।
हम यहाँ काशी में भी काबा बना लेते
आसमां से, पर कोई पत्थर नहीं गिरता।
शांति के हक में तो उठते हैं करोड़ों हाथ
पर किसी भी हाथ से खंजर नहीं गिरता।
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