दूरदास के पद/ दिलीप दर्श
एक हमीं हैं अखिल जगत में हिंदी के हितकारी।
लेखक,कवि, अभिनेता, शिक्षक, अभिभावक, व्यापारी।
सबके मुख पर छिटकै छट छट अंग्रेजी उजियारी।
पुत्र कहत जब 'सेब' सुनत ही क्रुद्ध होत महतारी ।
'बेटा, एप्पल बोलो' तो मैं मम्मी हूँ अति प्यारी ।
'कुत्ता' पर क्रंदन विकराली, 'डाॅगी' पर किलकारी।
हिन्दी रोटी पर अंग्रेजी जीभ लहै चटकारी।
अष्ट सिद्धि नौ निधि की दात्री अंग्रेजी गुणकारी,
दूरदास, हिन्दी चालीसा पढ़ - पढ़ भयो भिखारी।
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