यायावर हम तो धोतीधारी / दूरदास के पद

दूरदास के पद / दिलीप दर्श 

यायावर हम तो धोतीधारी। 
धोती के अंदर हमने भी कस लंगोटी डारी।

कोट - पैंट धारैं यायावर कंठ टाय दै मारी ।
तेल- फुलेल अरु कंघी मारै, केश गुच्छ अति भारी। 

मुख मंडल मधु क्रीम - लेप अरु उबटन देह सँवारी। 
अधर धरै मुस्कान मनोहर शरमावै लख नारी। 

नव - नव सेल्फी  फेसबुकन पर लावै सांझ - सकारी।
औरन जब  चिपकावै तब तो अद्भुत ज्ञान बघारी। 

कौन धवल धोती अब धारै सब पतलून पुजारी। 
दूरदास इस जाॅकी - जुग ने लंगोटी तक फारी। 
 

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