अवधू खोजै लैंबरगीनी

दूरदास के पद / दिलीप दर्श 

अवधू, खोजै लैंबरगीनी 
मारुति होंडा हुंडै टाटा ये सब ब्रैंड जमीनी । 

हम तो वेतनभोगी अवधू, इनकम अपनी झीनी।
उस पर मंहगाई जीएसटी इनकम टैक्स कमीनी। 

धन्य रोग मधुमेह चाय में पीनी कम - कम चीनी। 
करत - करत अब कतर - ब्योंत ही  बाकी जिनगी जीनी।

घर यह टू बीएचके अवधू, बैंक लोन पर लीनी।
दम निकले जब भरत किस्त तब नींबू- पानी पीनी।

ऊपर से स्कूल- फीस की मीठी मार महीनी।
माॅल रेस्तराँ ब्यूटी पार्लर हैप्पी मील हसीनी। 

आप करत हैं काज कौन जो इनकम इतनी कीनी, 
कैसे इतना शून्य हे अवधू ! प्रोफिट पर रख लीनी। 

बिन पूँजी, बिन मेहनत का वह मारग कौन जहीनी। 
दूरदास जब चलकर देखै, खोजै लैंबरगीनी ।  □□□
 


 

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