सुभाष राय की कविताएँ

सुभाष राय जितने कुशल संपादक हैं उतने ही सफल कवि हैं । समकालीन हिन्दी कविता में जनधर्मिता की लौ अपनी हथेलियों पर लेकर आगे बढ़ने वाले जो थोड़े से पक्षमुक्त कवि होंगे, उनमें से वे एक हैं, ऐसा मैं समझता हूँ। 'मूर्तियों के जंगल में' कविता - संग्रह के बाद  हाल में उनकी एक चर्चित कृति आई है- 'अक्क महादेवी'। 

तलाश
  

मौसम साफ होने पर कोई भी
बाढ़ के खिलाफ पोस्टर लगा सकता है
बिजली को गालियां बक सकता है
तूफान के खिलाफ दीवारों पर नारे लिख सकता है

जब हवा शीतल हो, धूप मीठी हो
कोई भी क्रांति की कहानियां सुना सकता है
घर मे लेनिन और माओ की तस्वीरें टांग सकता है

लेकिन जब मौसम बिगड़ता है
गिने-चुने लोग ही घर से बाहर निकलते हैं
बिजलियों की गरज से बेखबर
बाढ़ के खिलाफ बांध की तरह
बिछ जाने के लिए

ऐसे कितने लोग हैं
धरती उन्हें चूमना चाहती है प्यार से

अंधेरा डरता है आवाज से

यह भरोसा निरर्थक है 
कि अंधेरे में उड़ती हर गंध फूल की होगी
सिर पर फिरता कोई भी हाथ करुणा का होगा
दूर से आती हर आवाज मनुष्य की होगी
यह समझना भूल है कि अंधेरा 
आततायी से बचा सकता है
वह आततायी को हमले का 
मौका भी दे सकता है

अंधेरे से उजाले की याचना मत करो
अंधेरे से अपने ठिकाने की चर्चा मत करो
अंधेरे से अंधेरे के बारे में 
अपने खयाल साझा मत करो
अंधेरे की हजार बांहें होती हैं
वह पलक झपकते किसी को भी घेर लेता है
और किसी भी क्षण किसी भी तरफ से
जकड़ कर मार सकता है

यह भरोसा निरर्थक है
कि अगर कोई मारा गया तो अंधेरा गवाही देगा
कि अंधेरा खुद ब खुद चला जायेगा 
तेज रोशनी की ओट में भी घात लगाये 
छिपा रह सकता है अंधेरा
अंधेरे से जब भी सामना हो 
चुप मत बैठो, आवाज लगाते रहो
आवाजें अंधेरे को चीरती हुई निकल जाती हैं
अंधेरा सिर्फ आवाज से डरता है


बिलकिस बानो

बिलकिस बानो ! तुम्हारी उम्र से
लम्बी हो गयी है तुम्हारी पीड़ा की उम्र
अब तुम नहीं लौट सकती 2001 में

हमने देखा है तुम्हारा दर-बदर होना
हमने सुनी है तुम्हारी जुबान से 2002 की
तुम्हारी यातना कथा

यह तुम्हारी ही नहीं सारी स्त्रियों की अपमान 
कथा है, मानवीयता की कलंक कथा है

यह सब झेलकर जिंदा रहना और
उसे ढोते रहना कितना मुश्किल है, 
कोई अनुमान नहीं लगा सकता
मुझे पता है कैसे तुम्हारा 
सारा परिवार बिखर गया
तुम्हें अपना देस छोड़ना पड़ा
कैसे नग्न तुम, पहाड़ों में, गुफाओं 
में छिपने को मजबूर हुई
बार-बार घर बदलती रही

मुझे पता है किस तरह तुम्हें 
लगातार डराया, धमकाया गया
जीवन ही समाप्त करने के लिए 
मजबूर किया गया

क्या बीता होगा तुम्हारे ऊपर
जब तुम्हारी जिंदगी‌ नर्क बनाने वालों को
जेल में अच्छे आचरण का उपहार दिया गया
फूल- मालाओं से सम्मानित किया गया

बिलकिस बानो! मुझे गर्व है तुम्हारी
इस अनन्य जीजिविषा पर
मैं तुम्हारा दुख देखकर 
बार-बार पराजित होता रहा
लेकिन तुम नहीं हारी
हर अपमान का, हर डर का
सामना करती रही 

जिंदगी की इतनी तवील रात गुजारने के बाद
भी जब तुम कहती हो, 'मुझे बदला नहीं चाहिए'
तो तुम्हारे सम्मान में सिर झुक जाता है

तुम भले बच गयी लेकिन 
तुम्हारे आस-पास तमाम बच्चों, बच्चियों का
जीवन बलपूर्वक छीन लिया गया
किसकी आंख में खून नहीं उतर
आयेगा यह घिनौना, वीभत्स देखकर
लेकिन‌ तुम कहती हो, 'उन्हें जेल में रखा जाय
जीवन भर, उनकी जान न ली जाय
उन्हें फांसी न दी जाय'

जो तुम्हें किसी भी तरह मार देना चाहते थे
उनके जीवन की कामना आसान नहीं है 

तुम्हारा दर्द भुलाना मुश्किल है
लेकिन तुम्हारे साहस का हाथ थामे रहना
बहुत मुश्किल नहीं है बिलकिस बानो!

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1 comment:

  1. देश के रक्षकों के प्रति इतनी प्यारी भावना!ओह आप पर सभी को गर्व है।

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