सुभाष राय की एक कविता / तलाश

सुभाष राय जितने कुशल संपादक हैं उतने ही सफल कवि हैं । समकालीन हिन्दी कविता में जनधर्मिता की लौ  अपनी हथेलियों पर लेकर आगे बढ़ने वाले जो थोड़े से पक्षमुक्त कवि होंगे, उनमें से वे एक हैं, ऐसा मैं समझता हूँ । 
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तलाश  

मौसम साफ होने पर कोई भी
बाढ़ के खिलाफ पोस्टर लगा सकता है
बिजली को गालियां बक सकता है
तूफान के खिलाफ दीवारों पर नारे लिख सकता है

जब हवा शीतल हो, धूप मीठी हो
कोई भी क्रांति की कहानियां सुना सकता है
घर मे लेनिन और माओ की तस्वीरें टांग सकता है

लेकिन जब मौसम बिगड़ता है
गिने-चुने लोग ही घर से बाहर निकलते हैं
बिजलियों की गरज से बेखबर
बाढ़ के खिलाफ बांध की तरह
बिछ जाने के लिए

ऐसे कितने लोग हैं
धरती उन्हें चूमना चाहती है प्यार से

Comments

  1. देश के रक्षकों के प्रति इतनी प्यारी भावना!ओह आप पर सभी को गर्व है।

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