ऊधौ,  नियम करहु नहिं भंग

दूरदास के पद / दिलीप दर्श 


ऊधौ,  नियम करहु नहिं भंग,

सोशल डिस्टेंसिंग अब मानहु, बैठहु दूर, असंग।


घोर कोरोना काल ये ऊधौ, जीवन ह्वै रहि जंग।

हाथ धरू सेनिटाइजर मुंह पे मास्क लगावहु तंग।


बिन मतलब नहिं विचरहु बाहर, पग - पग भ्रमत भुजंग।

कछुआ से कुछ सीखहु ऊधौ, देख समेटहु अंग।


करहु न धरना आंदोलन, रहु घर में  बैठ अपंग।

फेसबुकी फोरम से केवल गावहु क्रांति- अभंग । 

 

हज - तीरथ सब कुंभ विसारहु, छाँडहु  जमजम -  गंग।

खोजहु वन एकांत विजन फिर गह्वर,गुफा, सुरंग ।  

 

ईश्वर - अल्ला बेबस ह्वै यह कोरोना बेढंग।   

दूरदास ऑनलाइन, ऊधौ लाइव करहु प्रसंग ।

 

 

 

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