साधो, वैष्णव- जन / पद / 6

साधो,  वैष्णव- जन के राज।
पर चटोर जिह्वा नहिं मानै बिन लहसुन बिन प्याज।

मुल्ला दो प्याजा का उचटा- उचटा हुआ मिज़ाज ।
मुर्ग मुसल्लम क्या छूटा जो छूटी अजां - नमाज।

बूझै विरला ही कि प्याज में कामशक्ति कौ राज ।
बूझै जो यह राज देस की रोज बचावै लाज।  

सादा खावै, उच्च विचारै, भाखत साधु - समाज।
सात्विक भोजन से ही आवै असली हिन्द स्वराज ।

महंगाई तो अंकुश मन पर, खरचा पर बैराज।
टूटै यह बैराज डुबावै भवनिधि मद्ध जहाज।

महंगाई के सूचकांक पर उड़े निरंकुश बाज।
गौरैया बस छिलका देखै, बाज उड़ावै प्याज।

'प' से प्याज पढ़ै सब बुतरु, नया ककहरा आज।
दूरदास पद, सबद - सबद में, भासै - झांसै प्याज।

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