अवधू, अब हमहूँ चौकन्ना,
भाँति-भाँति के भेष में आवै निसि दिन नव-नव अन्ना।
हर अन्ना के हाथ विराजै, मनमोहक झुनझुन्ना,
झुन- झुन सुनिकै जागै जन - मन में बहु ख्वाब- तमन्ना।
हर अन्ना के पीछे बैसल सेठ बड़ा इक धन्ना,
धन है धन्ना सेठ कि चूसै अन्ना गुप - चुप गन्ना।
जनता पुलकित देखि चुनावी मेनू का हर पन्ना,
मगर प्लेट में आवै केवल दाल- भात अरु सन्ना।
सत्ता साजै सूट - बूट अरु जनता फटा सुथन्ना।
दूरदास दून्ने राशन पर भाषण दै चौगुन्ना। ।